परमात्मा की हर कृति के लिए कौटी - कौटी नमन। परमात्मा की हर कृति के लिए कौटी - कौटी नमन।
अगला पन्ना किताब का उसकी। जहाँ चाहें घुमा दें, ये है मर्ज़ी उसकी। अगला पन्ना किताब का उसकी। जहाँ चाहें घुमा दें, ये है मर्ज़ी उसकी।
निखर आया है रंग बगीचे में संवर आया है रूप मेरे रुख़सारों पर। निखर आया है रंग बगीचे में संवर आया है रूप मेरे रुख़सारों पर।
पहचान बस एक रहे हमेशा चाहे मजहब हो कई तरह की। पहचान बस एक रहे हमेशा चाहे मजहब हो कई तरह की।
चुप्पी के चक्रव्यूह को तोड़कर, नारी के कई रूप निखरेंगे। चुप्पी के चक्रव्यूह को तोड़कर, नारी के कई रूप निखरेंगे।
तुम्हारा काम है निशान कागज पर छोडना, पेन्सिल थी उदास कहा अब हैं मुख मोड़ना। मुझे तो बस दूसरे के हा... तुम्हारा काम है निशान कागज पर छोडना, पेन्सिल थी उदास कहा अब हैं मुख मोड़ना। मु...